पीएम किसान सम्मान निधि योजना की पूरी जानकारी | PM Kisan Samman Nidhi Full Information


पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan Samman Nidhi) जिसे पीएम किसान योजना के नाम से भी जानते हैं ।आइए हम आपको पीएम किसान सम्मान निधि योजना की पूरी जानकारी देते हैं। यह भारत सरकार की 100 % फंडिंग वाली एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है , इसका तात्‍पर्य यह हुआ कि इसके संचालन में केवल केंद्र सरकार का पैसा लगता है।किसी भी राज्‍य शासन का पैसा संंचालन में नहीं लगता केवल क्रियान्‍वयन हेतु राज्‍य शासन के सरकारी तंत्र का सहयोग लिया जाता है। इसे 1 दिसम्‍बर 2018 से प्रारम्‍भ किया गया है जिसके चार साल दिसम्‍बर 2022 में पूरे हो गए हैं।इस योजना के तहत सभी भूमि धारकों काे प्रति वर्ष 6000 रुपया की आय सहायता राशि तीन समान किश्‍तों (पहली किश्‍त 2000+ दूसरी किश्‍त 2000+ तीसरी किश्‍त 2000) में प्रदान की जाती है।आइये अब जानते हैं इसे विस्‍तार से-

आसानी से पढ़ें

पीएम किसान सम्मान निधि योजना में कौन पात्र है ?

भारत सरकार के “कृ‍षि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय” के अधीन आने वाले विभाग “कृ‍षि , सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग” के द्वारा योजना के प्रारंभिक वर्ष दिसम्‍बर 2018 के बाद पुन: 29 मार्च 2020 को संशोधित परिचालन दिशानिर्देश जारी किया गया था जिसके अनुसार देश के सभी खेती योग्‍य भूमिधारक किसानों को इसके लिए पात्र माना गया है।
यह किसान परिवारों के आय सहायता प्रदान करने की दृष्टि से केन्‍द्र सरकार की महत्‍वपूर्ण योजना साबित हुई है। इसमें पैसा एकमुश्‍त न देेेकर किश्‍त के रूप में दी जाती है।

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के क्‍या उद्देश्‍य है और क्‍या लाभ है ?

इसका उद्देश्‍य देश में सभी खेती योग्‍य भूमि रखने वाले किसानों के परिवाराें को उचित फसल स्‍वास्‍थ्‍य और अच्‍छी पैदावार प्राप्‍त करने के लिए प्रत्‍याशित कृषि आय के साथ-साथ घरेलू जरूरतों के अनुसार विभिन्‍न आदानों की खरीदी हेतु सभी भूमिधारक किसानों के परिवारों के वित्‍तीय आवश्‍यकता को पूरा करना हैं।

पीएम किसान सम्‍मान निधि याेेेजना (PM-Kisan Samman Nidhi) में केंद्र सरकार द्वारा प्रति वर्ष प्रत्‍येक हितग्राही/लाभार्थी के खाते में 6000 रूपये की राशि तीन किश्‍तों में (पहली किश्‍त 2000+ दूसरी किश्‍त 2000+ तीसरी किश्‍त 2000) प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण मोड (DBT – Direct Benefit Transfer) के माध्‍यम से सीधे किसानों के खातों में ऑनलाईन प्रदाय की जाती है।

पीएम किसान सम्‍मान निधि याेेेजना(PM-Kisan Samman Nidhi) में “किसान परिवार” की परिभाषा क्‍या है ?

पीएम किसान सम्‍मान निधि याेेेेजना में किसान परिवार की परिभ‍ाषा ” ऐसे भूमिधारक किसान परिवार से है जिसमें पति, पत्‍नी और नाबालिग युक्‍त परिवार हो और जिनके पास संबंधित राज्‍य/केंद्र शासित प्रदेश के भूमि रिकॉर्ड के अनुसार खेती योग्‍य भूमि हो।”

लाभ की गणना के लिए व लाभा‍र्थियों के पहचान के लिए मौजूदा भूमि-स्‍वामि‍त्‍व प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

पीएम किसान योजना में कौन-कौन अपात्र होंगे ? ये व्यक्ति लाभ नहीं ले पाएंगे-

ऊँची आर्थिक स्थिति रखने वाले निम्न व्यक्ति इस योजना में अपात्र माने जाएंगे-

  1. सभी पूर्व अथवा वर्तमान संस्थागत भूमिधारक । जैसे – किसान जिनके पास सरकारी भूमि हो, किसी ट्रस्ट की भूमि ,सहकारी भूमि आदि अपात्र हैं।
  2. ऐसे किसान परिवार जिनके एक या एक से अधिक सदस्य निम्न में से किसी एक कैटेगरी/श्रेणी में आते हों अपात्र होंगे – (1) पूर्व अथवा वर्तमान के संवैधानिक पदधारक जैसे- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,राज्यपाल, उपराज्यपाल आदि (2) पूर्व अथवा वर्तमान में पदधारित मंत्री,राज्य मंत्री, लोकसभा अथवा राज्यसभा के सदस्य,महापौर,जिला पंचायत के अध्यक्ष। (3) केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रालय/कार्यालय/विभाग और उनके फील्ड इकाई में पदस्थ और केंद्र व राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSEs) में संलग्न कार्यालय, सरकार के अधीन स्वायत्त संस्था साथ ही नियमित संस्था के सभी सेवारत अथवा सेवानिवृत्त कर्मचारी व अधिकारी। अपवाद- इस श्रेणी में मल्टी टास्किंग स्टाफ, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी व ग्रुप डी के कर्मचारी को अपवाद में लिया गया है इसका तात्पर्य हुआ कि ये लाभ ले सकते हैं। (4) सभी सेवानिवृत्त पेंशनभोगी जिनकी मासिक पेंशन 10,000 रुपया या उससे अधिक हो। अपवाद- इसमें भी मल्टी टास्किंग स्टाफ, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी व ग्रुप डी के कर्मचारी को अपवाद में लिया गया है इसका तात्पर्य हुआ कि इनके पेंशनभोगी लाभ ले सकते हैं।(5) सभी व्यक्ति जो आयकर के पिछले मूल्यांकन वर्ष में आयकर का भुगतान किया हो । (6) सभी पेशेवर निकायों के साथ पंजीकृत प्रोफेसनल जैसे -डॉक्टर, इंजीनियर , वकील , चार्टर्ड एकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि जो अभ्यास करके अपने पेशे को अंजाम देते हैं।
  3. आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अनुसार सभी भूमि धारक किसान परिवार जो अनिवासी भारतीय(NRI) हैं, अपात्र माने जाएंगे।
  4. अपात्र को चिन्हित करने अथवा अपवर्जन के उद्देश्य से राज्य अथवा संघ राज्य की सरकार लाभार्थियों की पात्रता को स्व-घोषणा पत्र के आधार पर प्रमाणित कर सकती है। यदि कोई लाभार्थी उपलब्ध न हो या गाँव में न रहता हो तो उस परिवार के अन्य वयस्क सदस्य द्वारा घोषणा पत्र के आधार पर उसके प्रमाणन पर विचार कर सकती है। लाभार्थी द्वारा गलत स्व-घोषणा पत्र देने की स्थिति में लाभार्थी के खाते में हस्तांतरित वित्तीय लाभ की वसूली साथ ही कानून के अनुसार अन्य दंडात्मक कार्रवाई के लिए वह (लाभार्थी) स्वयं जवाबदार/उत्तरदायी होगा।

पीएम किसान में लाभ की गणना कैसे होती है-

  1. लाभ का भुगतान केवल उन्हीं कृषक परिवारों को किया जाता है जिनका नाम भू-अभिलेख में दर्ज है। हालाँकि इस संबंध में उत्तर-पूर्वी राज्यों और झारखंड राज्य के लिए अपवाद बनाया गया है।
  2. इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के पात्रता के निर्धारण की कट-ऑफ की दिनाँक 01 फरवरी 2019 है और इसके बाद अगले पाँच वर्ष तक योजना के तहत लाभ की पात्रता के लिए कोई भी बदलाव नहीं किया जाएगा।हालाँकि यह तिथि तब लागू नहीं होती जब मृत्यु के कारण उत्तराधिकार के कारण खेती योग्य भूमि के स्वामित्व का हस्तांतरण होता है।
  3. लाभ उन्हीं मामलों में दिया जाएगा जहाँ भूमिस्वामी की मृत्यु उपरांत उत्तराधिकार के कारण खेती योग्य भूमि के स्वामित्व का हस्तांतरण होता है।हालाँकि जिन पात्र किसानों का नाम भू-अभिलेख में दिनाँक 01 दिसंबर 2018 के बाद और दिनाँक 01 फरवरी 2019 तक दर्ज किया गया है, वे सभी किसान भू-अभिलेख में भू-अधिकार दर्ज होने की तिथि से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे किसी भी मामलों में जहाँ कृषि योग्य भूमि के स्वामित्व का हस्तांतरण किसी भी कारण से दिनाँक 01 दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2019 के मध्य हुआ हो , जैसे कि – क्रय करने पर, उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त होने पर , वसीयत से , उपहार आदि से । 4 मासिक अवधि से संबंधित क़िस्त (Trimester) दिसंबर 2018 से मार्च 2019 वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 4 माह की अवधि के संबंध में स्थानांतरण की तारीख से 31.03.2019 तक आनुपातिक राशि होगी।
  4. ऐसे मामलों में जहाँ 01.12.2018 से पहले भू-स्वामियों की मृत्यु के कारण उत्तराधिकार के कारण अर्जित अधिकारों के लिए भूमि अभिलेखों को अद्यतन नहीं किया गया है।भू-अभिलेखों का ऐसा अद्यतन समयबद्ध तरीके से राज्यों द्वारा किया जा सकता है। जिन उत्तराधिकारियों के नाम पूर्वोक्त के रूप में अर्जित अधिकारों के लिए भूमि रिकॉर्ड में दर्ज किए गए हैं, वे योजना की अन्य शर्तों और अपवर्जन खंड को पूरा करने के पात्र होंगे।
  5. इसके बिंदु 3 के अनुसार जो 1 दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2019 के बीच स्वामित्व के हस्तांतरण से जुड़े मामलों में लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित करने के लिए योजना के तहत वित्तीय लाभ की अनुपातिक राशि प्रदान करता है, के मामलों पर लागू रहेगा उत्तराधिकार भी जो उक्त शब्दों से स्पष्ट है।
  6. दिनांक 1 फरवरी 2019 के बाद निम्नलिखित कारणों से स्वामित्व में परिवर्तन हो सकता है :- (1) भूमि मालिक की मृत्यु होने की स्थिति में विरासत के कारण स्वामित्व का हस्तांतरण। ऐसे मामलों में उत्तराधिकारियों का परिवार लाभ का हकदार होगा यदि योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार अन्यथा पात्र होते हों। (2) बिक्री विलेख , विभाजन विलेख उपहार विलेख आदि के माध्यम से अन्य व्यक्तियों को स्थानांतरित किए जाने वाले कृषि योग्य भूमि के मामलों में अंतरित योजना के तहत पात्र नहीं होगा क्योंकि वह 1 फरवरी 2019 को भूमि का स्वामी नहीं था। हालाँकि ऐसे मामलों में भी भूमि का हस्तांतरणकर्ता अयोग्य हो जाएगा यदि इस तरह के स्थानांतरण के बाद हस्तांतरणकर्ता के परिवार के पास कोई खेती योग्य भूमि नहीं ह।

पीएम किसान क्रियान्वित कैसे किया जाता है ?

  1. राज्य सरकार गांव में पात्र लाभार्थी भूमि धारक किसान परिवारों का डेटाबेस तैयार करती है जिसमें लाभार्थियों के नाम ,आयु ,लिंग ,श्रेणी ,(ST/SC/OBC/GEN) ,आधार संख्या ,बैंक खाता संख्या और मोबाइल नंबर शामिल है।योजनान्तर्गत लाभ हेतु पात्र भूमिधारक कृषक परिवारों के पहचान का उत्तरदायित्व राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के सरकार की होती है। असम , मेघालय ,जम्मू और कश्मीर राज्यों में लाभार्थियों के मामले में जहाँ अधिकांश नागरिकों को आधार संख्या जारी नहीं की गई है उन सभी लाभार्थियों के लिए आधार संख्या एकत्र की जाएगी। जहां यह उपलब्ध है और अन्य के लिए ड्राइविंग लाइसेंस मतदाता परिचय पत्र जैसे वैकल्पिक निर्धारित दस्तावेज पहचान सत्यापन उद्देश्यों के लिए आईडी कार्ड , नरेगा जॉब कार्ड या केंद्रीय/राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश सरकारों या उनके अधिकारियों आदि द्वारा जारी किए गए किसी भी अन्य पहचान दस्तावेज को एकत्र किया जा सकता है। इन तीनों राज्यों को 31 मार्च 2021 तक आधार नंबर की अनिवार्यता से छूट दी गई थी । राज्य व केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करते हैं कि पात्र परिवारों को हस्तांतरित भुगतान का कोई दोहराव नहीं है। लाभार्थी के गलत अथवा अपूर्ण बैंक विवरण के मामले में शीघ्र मिलान सुनिश्चित किया जाता है।
  2. अपवर्जन के उद्देश्य से राज्यों को लाभार्थियों से स्वघोषणा लेनी होती है। राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों द्वारा ली गई उक्त स्वघोषणा में एक उपक्रम यह भी शामिल होता है जिसमें संबंधित एजेंसियों के साथ योजना के लिए उनकी पात्रता के सत्यापन के लिए आधार संख्या का उपयोग करने के लिए लाभार्थियों की सहमति ली जाती है।
  3. संबंधित राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र में मौजूदा भू-स्वामित्व प्रणाली का उपयोग लाभार्थियों की पहचान के लिए करती है। इसके अनुसार यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि भूमि रिकॉर्ड स्पष्ट और अद्यतन हों। दिशा निर्देश में यह स्पष्ट है कि राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की प्रगति में तेजी लाएंगे और इसे आधार के साथ-साथ लाभार्थियों के बैंक विवरण से जोड़ देंगी।
  4. पात्र लाभार्थियों की सूची ग्राम स्तर पर प्रकाशित की जाती है और किसानों के परिवार जो पात्र हैं लेकिन बाहर कर दिए गए हैं उन्हें अपने मामले का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया जाता है।

पीएम किसान योजना में समीक्षा , निगरानी और शिकायत निवारण तंत्र कैसे काम करता है ?

  1. पीएम किसान योजना में समीक्षा ,निगरानी व शिकायत निवारण के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर स्तरीकृत समीक्षा व निगरानी तंत्र होता है। राष्ट्रीय स्तर पर समीक्षा समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं। बाद में राज्य , राज्य और जिला स्तरीय समीक्षा व निगरानी समिति को सूचित करती है।
  2. राज्य योजना के कार्यान्वयन से संबंधित सभी शिकायतों को देखने के लिए राज्य और जिला स्तरीय शिकायत निवारण निगरानी समितियों को भी अधिसूचित करती है। प्राप्त होने वाले किसी भी शिकायत या शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर दो सप्ताह के भीतर निपटाने हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश है।

पीएम किसान योजना में परियोजना निगरानी इकाई की स्थापना व इसकी फंडिंग । Project Monitoring Unit (PMU) in PM Kisan

  1. परियोजना निगरानी इकाई (PMU) कृषि , सहकारिता और किसान कल्याण विभाग में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत सोसाइटी के रूप में स्थापित की गई है। इस इकाई को योजना की समग्र निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है और इसकी अध्यक्षता मुख्य कार्यकारी अधिकारी करेंगे। परियोजना निगरानी इकाई प्रचार अभियान भी चलाएगा।
  2. प्रत्येक राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश सरकार योजना के कार्यान्वयन के लिए एक नोडल विभाग नामित करती है और आए सहायता योजना के कार्यान्वयन के संबंध में केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित करती है।
  3. केंद्रीय स्तर पर इस इकाई की तर्ज पर राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र , राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र हेतु इस स्तर पर भी समर्पित परियोजना निगरानी इकाइयों की स्थापना पर विचार कर सकते हैं। लाभार्थियों को हस्तांतरित की जाने वाली किस्तों की राशि का 0.125% केंद्र सरकार द्वारा राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र सरकार को स्थानांतरित किया जा सकता है ताकि उनके PMU पर व्यय को कवर किया जा सके , यदि PMU स्थापित हो और अन्य संबंधित प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए स्टेशनरी की खरीद , क्षेत्र सत्यापन के लिए लागत शामिल हो। निर्धारित प्रपत्रों को भरना , उनका प्रमाणीकरण और इसे अपलोड करने के साथ-साथ क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ,प्रचार आदि के लिए प्रोत्साहन , राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश उस खाते का विवरण प्रस्तुत प्रस्तुत करते हैं जिसमें केंद्र सरकार द्वारा प्रशासनिक शुल्क जमा किया जाता है। राज्य अथवा संघ शासित प्रदेशों को देय प्रशासनिक शुल्क कार्य की मात्रा और लाभार्थियों की संख्या के आधार पर भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है।

लाभार्थियों की पहचान व कार्यान्वयन के लिए पीएम किसान पोर्टल

योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश द्वारा की जाती है। किसानों का विवरण राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा या तो इलेक्ट्रॉनिक रूप में या मैन्युअल रजिस्टर में रखा जाता है। लाभ हस्तांतरण में सहायता के लिए देश में एकीकृत मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किसानों के विवरण को एक ही वेब पोर्टल पर अपलोड करने के लिए पीएम किसान पोर्टल नामक एक मंच शुरू किया गया है।

पीएम किसान पोर्टल प्रारंभ करने के उद्देश्य

पीएम किसान पोर्टल को निम्न उद्देश्यों के साथ प्रारंभ किया गया है-

  1. पोर्टल पर किसानों के विवरण के सत्य को सत्यापित करने और एकल स्त्रोत प्रदान करने के लिए।
  2. कृषि कार्यों में किसानों को समय पर सहायता प्रदान करने के लिए।
  3. सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (Public Financial Management System/PFMS) के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में नगद लाभ अंतरण करने के लिए एकीकृत e-platform उपलब्ध कराना।
  4. लाभान्वित किसानों की सूची की स्थानवार उपलब्धता प्रदान करने के लिए।
  5. निधि लेनदेन विवरण पर पूरे देश में निगरानी को आसान बनाने के लिए।

किसान पोर्टल में क्या दर्ज करना आवश्यक है और क्या वैकल्पिक है

किसान की विशेषताएं जो आवश्यक हैं-

  1. राज्य
  2. जिला
  3. उप जिला या ब्लॉक
  4. ग्राम
  5. किसान का नाम
  6. पहचान का प्रकार जैसे आधार संख्या और यदि आधार संख्या उपलब्ध ना हो उस स्थिति में आधार नामांकन संख्या के साथ अन्य आईडी प्रमाण जैसे वोटर आईडी आदि।
  7. लिंग
  8. श्रेणी व
  9. आईएफएससी कोड (IFSC) के साथ बैंक खाता संख्या

किसान की विशेषताएं जो वैकल्पिक हैं-

  1. पिता का नाम
  2. पता
  3. मोबाइल नंबर
  4. जन्मतिथि अथवा आयु
  5. खेत का आकार हेक्टेयर में
  6. सर्वेक्षण नंबर
  7. खसरा नंबर

वैकल्पिक विशेषताओं में से जैसे मोबाइल नंबर एसएमएस अलर्ट के लिए उपयोग किया जा सकता है व अन्य वैकल्पिक विशेषताएं भविष्य में उपयोग होने के उद्देश्य से ली जाती है हालाँकि वैकल्पिक विशेषताएं नगद हस्तांतरण के उद्देश्य से आवश्यक नहीं होती हैं। इन विशेषताओं को पीएम किसान पोर्टल पर निरूपित किया गया है।

एक राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश पीएम किसान में कैसे शामिल हो सकता है ?

ऐसे 3 तरीके हैं –

  1. यदि किसी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश के पास किसानों की गांव अथवा जिलेवार सूची है तो वह इसे पूर्व निर्धारित प्रारूप में स्थानीय एनआईसी राज्य इकाई की सहायता से अपलोड कर सकते हैं।
  2. पीएम किसान पोर्टल पर किसानों का कुछ मौजूदा डेटा पहले से ही उपलब्ध है जो राज्यों /जिलों /गांवों के चयन पर दिखाई देगा। जिन राज्यों अथवा केंद्र शासित प्रदेशों के पास अपनी सूची नहीं है वे पोर्टल पर दी गई किसानों की ग्राम वार सूची का उपयोग कर सकते हैं और किसानों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए इसे संपादित कर सकते हैं। इसके लिए जिला और ब्लॉक अधिकारियों के अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए पीएम किसान पोर्टल पर करेक्शन विंडो उपलब्ध होगा।
  3. यदि राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश किसी किसान की नई प्रविष्टि करना चाहते हैं तो उन किसानों के पंजीकरण के लिए एक पारिभाषित और मानकीकृत प्रारूप में प्रावधान है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ,मृदा स्वास्थ्य कार्ड ,सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) के डेटाबेस का भी इस उद्देश्य के लिए उपयोग किया जा सकता है।

किसान पोर्टल के माध्यम से रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया क्या है ?

  1. जिला और ब्लॉक/ तहसील/ तालुका के अधिकारियों द्वारा स्व पंजीकरण के मामले में लॉगिन क्रेडेंशियल के निर्माण या लॉगिन क्रेडेंशियल के अनुमोदन के लिए राज्य प्रशासन और जिला प्रशासन की पहचान करने की आवश्यकता होती है।
  2. पोर्टल पर उपलब्ध किसानों की सूची ब्लाक/ तहसील/ तालुका स्तर के अधिकारी के लॉगिन पर उपलब्ध होगी।
  3. पीएम किसान पोर्टल डेटा का उपयोग किए जाने की स्थिति में किसानों के नाम , आधार संख्या या मोबाइल नंबर द्वारा विवरण प्राप्त करने के लिए खोज सुविधा (Search Facility) भी उपलब्ध होगी। सूची में विवरण नहीं मिलने पर नए किसानों का विवरण जोड़ने की सुविधा उपलब्ध होगी।
  4. सत्यापित सूची जिला स्तरीय ब्लॉक/तहसील /तालुका स्तर के अधिकारियों , जैसा भी मामला हो द्वारा ई-हस्ताक्षरित की जाएगी। सत्यापित किसानों की सूची पर ई- हस्ताक्षर करने से पहले योजना के दिशा निर्देशों में निर्दिष्ट बहिष्करण श्रेणियों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
  5. राज्य के नोडल अधिकारी पीएम किसान पोर्टल के माध्यम से “कृषि ,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग” के कार्यक्रम प्रभाग को किसानों की जिलेवार हस्ताक्षरित सूची प्रस्तुत करते हैं ।

पीएम किसान में लाभ हस्तांतरण कैसे और कितना किया जाता है ?

  1. पात्र किसानों को ₹6000 प्रतिवर्ष का वित्तीय लाभ हर 4 महीने /त्रैमासिक में ₹2000 के तीन समान किस्तों में प्रदाय की जाती है। ये किस्त अप्रैल-जुलाई , अगस्त-नवंबर व दिसंबर-मार्च में तीन किस्तों में जारी किया जाता है ।
  2. योजना को आधार से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है जिसमें किसानों के परिवारों के सभी सदस्यों का विवरण शामिल है जिनके नाम भूमि रिकॉर्ड में दिखाई देते हैं। पात्र किसानों को वित्तीय लाभ के हस्तांतरण के लिए सभी लाभार्थियों के लिए , आधार संख्या एकत्र की जाती है।
  3. आय समर्थन लाभ के साथ-साथ प्रशासनिक शुल्क से संबंधित धनराशि भारत सरकार से राज्यों के नामित खाते में जारी की जाती है। लाभ का हस्तांतरण भारत सरकार द्वारा लाभार्थियों को एक तंत्र के माध्यम से किया जाता है जिसमें जिलेवार लाभार्थियों की सूची राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रमाणित और अपलोड की जाती है और धन इलेक्ट्रॉनिक रूप से राज्य कल्पित खाते (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के समान) के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है जो उनके खाता संख्या और आईएफएससी कोड पर आधारित होता है। हालाँकि जहाँ राज्य यह सत्यापित करते हैं कि आधार से जुड़े खाते लाभार्थियों के ऋण खाते नहीं है आधार से जुड़ी भुगतान प्रणाली को अपनाया जा सकता है।
  4. आय समर्थन लाभ के साथ-साथ प्रशासनिक शुल्क से संबंधित धनराशि भारत सरकार से राज्य नामित खाते को जारी की जाती है। निधियों के अंतरण के लिए विस्तृत तौर-तरीके निम्नानुसार होते हैं-

(A) योजना के तहत लाभार्थियों को देय राशि का भुगतान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के तंत्र के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में किया जाता है। यह राशि पीएफएमएस पोर्टल का उपयोग करते हुए “कृषि , सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग” के मान्यता प्राप्त बैंक और राज्यों अथवा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रायोजक बैंकों के माध्यम से गंतव्य बैंकों में रखे गए लाभार्थियों के खातों में प्रवाहित होती है। यह गंतव्य बैंक शेड्यूल बैंक ,डाकघर बैंक , ग्रामीण बैंक , सहकारी बैंक या कोई अन्य वित्तीय संस्थान हो सकता है।
(B) लाभार्थी के खाते में समय पर भुगतान के लिए राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा उठाए जाने वाले महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं-

राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश की सरकार –

  • राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश की सरकार लाभार्थियों की पहचान करती है और योजना के वेब पोर्टल पर लाभार्थी का विवरण अपलोड करती है।
  • लाभार्थी के विवरण की सत्यता राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों द्वारा सुनिश्चित की जाती है इसके अलावा लाभार्थी के गलत या अधूरे बैंक विवरण के मामलों में शीघ्र मिलान सुनिश्चित किया जाता है।
  • भुगतान की सुविधा के लिए लाभार्थियों के एक बैच में कुल राशि के लिए योजना के वेब पोर्टल पर फंड ट्रांसफर आर्डर (एफटीओ) राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है।
  • राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को भी प्रत्येक राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश में एक बैंक की पहचान करनी होती है और उसे इस योजना के प्रायोजक बैंक के रूप में नामित करना होता है। राज्य इस योजना के लिए प्रायोजित बैंक के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के उपयोग के लिए उसी बैंक को नामित करने पर विचार कर सकती है।
  • प्रायोजक बैंक के रूप में नामित बैंक के पास योजना के वेब पोर्टल और पीएफएमएस के साथ एकीकरण की क्षमताओं के साथ अच्छी तरह से विकसित आईटी प्रणाली होनी चाहिए।
  • प्रायोजक बैंक का विवरण IFSC कोड और बैंक खाता संख्या जिसमें धनराशि स्थानांतरित की जानी है विभाग को प्रदान की जाती है ।
  • राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश सरकारी योजना के तहत प्राप्त राशि को लाभार्थी खाते वाले गंतव्य बैंकों को सीधे प्रेषित करने के लिए प्राइवेट बैंक को अधिकृत करती हैं।
  • प्रायोजक बैंक को धन प्राप्त होने के तुरंत बाद गंतव्य बैंक को धन भेजना होता है।

संघ सरकार-

  • कृषि ,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग में कार्यक्रम प्रभाग को राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त FTO के आधार पर स्वीकृति आदेश जारी करना होता है।
  • स्वीकृति आदेश जारी होने के बाद लाभार्थी के खाते में समय-समय पर क्रेडिट किया जाता है।
  • लाभार्थी को शॉर्ट मैसेजिंग सर्विस (s.m.s.) द्वारा उसके खाते में राशि जमा होने के बारे में सूचित किया जाता है।
  • लाभार्थी खाते में क्रेडिट की पुष्टि लाभार्थी खाते में क्रेडिट के दिन के अगले दिन कृषि , सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा वापस प्राप्त की जाती है।
  • असफल लेनदेन की रिपोर्ट बैंकिंग प्रणाली द्वारा कृषि ,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग को सफल लेनदेन की रिपोर्टिंग के दिन के अगले दिन ,शामिल राशि के साथ की जाती है।
  • असफल लेनदेन का विवरण राज्य अथवा संघ शासित प्रदेशों को लाभार्थी के विवरण और पुनर्संसाधन के आगे सत्यापन के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

क्या पीएम किसान में पारदर्शिता है ?

पीएम किसान में अधिक पारदर्शिता और सूचना सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थियों की सूची पंचायतों में प्रदर्शित किए जाने के स्पष्ट निर्देश हैं। इसके अलावा राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र लाभार्थी को लाभ की स्वीकृति की सूचना प्रणाली द्वारा सृजित एसएमएस के माध्यम से देंगे। लाभार्थी सूची के प्रकाशन के बाद उत्पन्न होने वाली शिकायतों अथवा परिवादों के मामलों में उन्हें संबोधित किया जाना चाहिए और तेजी से उपचारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। वर्ष के दौरान पात्रता के लिए लाभार्थी के लगभग 5% की जांच सुनिश्चित करने के लिए राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा प्रयास किए जाने चाहिए।

पीएम किसान में लाभार्थियों की सूची की वैधता कब तक होती है ?

लाभार्थियों की सूची की वैधता जो राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा पहचाने गए होते हैं एक वर्ष के लिए वैध होती है। हालांकि राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश पात्र लाभार्थियों के नाम अपलोड कर सकते हैं जिनकी पहचान बाद में की गई है।

FAQ

PM Kisan में कितना पैसा मिला है, कैसे चेक करें ?

किसी भी हितग्राही को कितना पैसा मिला है या उसकी क्या स्थिति है ये चेक करने के लिए सबसे पहले “PM Kisan” के आधिकारिक वेबसाइट https://pmkisan.gov.in/ पर जाना होगा फिर डैशबोर्ड में से “लाभार्थी की स्थिति” या अंग्रेजी में “Beneficiary Status” पर क्लिक करना होगा इसके बाद जो स्क्रीन खुलेगा उसमें वर्तमान में दो विकल्प है पहला मोबाइल नंबर जो पी एम किसान में पंजीकृत हो या दूसरा विकल्प है रजिस्ट्रेशन नंबर जो प्रत्येक लाभार्थी का अलग-अलग होता है , इनमें से किसी एक को डालकर फिर कैप्चा कोड को डालकर गेट डेटा/Get Data को क्लिक करके अपनी स्थिति को जान सकते हैं। इसमें पैसा कितना किश्त मिला है और कब-कब मिला है सब जान सकते हैं।

क्या ईकेवाईसी करना अनिवार्य है?

पीएम किसान में रजिस्टर्ड अथवा पंजीकृत किसान के लिए ईकेवाईसी करना अनिवार्य है। ईकेवाईसी नहीं करवाने पर पैसा रोक दी जाती है।

पीएम किसान में ई केवाईसी कैसे करते हैं ?

ईकेवाईसी दो तरीके से कर सकते हैं। पहला ओटीपी आधारित ईकेवाईसी जिसे लाभार्थी स्वयं रजिस्टर्ड मोबाइल में ओटीपी भेज कर कर सकता है और दूसरा बायोमेट्रिक आधारित ईकेवाईसी जिसे सीएससी सेंटर या ग्राहक सेवा केंद्र में जाकर अंगूठा लगाकर कर सकता है।

पीएम किसान में अपना समस्या अथवा शिकायत कैसे दर्ज कराएं ?

पीएम किसान में ऑनलाइन समस्या दर्ज करा सकते हैं जिसके लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। स्थानीय स्तर पर कृषि विभाग के मैदानी अमले अथवा विभागीय कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

पीएम किसान का हेल्पलाइन नंबर कितना है ?

पीएम किसान का हेल्पलाइन नंबर 155261 या 011-24300606 है। इन दोनों में से किसी एक में लगाकर बात कर सकते हैं या अपना समस्या दर्ज करा सकते हैं ।

पीएम किसान का ऑफिशियल वेबसाइट क्या है ?

पीएम किसान का ऑफिशियल वेबसाइट है www.pmkisan.gov.in

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