Uses of Sulphur Based Fungicide Sulphur 80 WDG | Sulphur 80 WDG का उपयोग फसल का उत्पादन बढ़ाने में कैसे करें?

Uses of Sulphur Based Fungicide जैैैसे – Sasage, Sultan , Thionutri , Sulfex, Hivet , MAINSUL , Thiofit , Sulphur Fast FWD , Superior, Ustaad आदि व्यापारिक नाम से बिकने वाले Sulphur 80 WDG का उपयोग फसल उत्पादन बढ़ाने में कैसे करें, प्रति टंकी मात्रा , नियंत्रित रोग व उपयोग में सावधानी इत्यादि।

uses of sulphur
Sulphur 80% WDG के उत्पाद

Sulphur 80 WDG क्या है?

Sulphur 80 WDG एक व्यापक स्पेक्ट्रम (Broad Spectrum) फसलों पर प्रयोग किया जाने वाला संपर्क फफूंद नाशक (Contact Fungicide) है। इसमें 80% सल्फर(गंधक) सक्रिय घटक होता है जो पानी में आसानी से घुलने वाले दाने (WDG=Water Dispersible Granules) के रूप में होता है। पानी में घोलने पर यह अच्छी तरह से घुल जाता है और सभी तरफ फैल जाता है। पानी के निचली सतह में जल्दी नहीं बैठता है।यह प्रकृति में निवारक (Preventive) और उपचारात्मक (Curative) फफूंद नाशक है अर्थात यह फफूंद से होने वाले रोग को पौधों में लगने से रोकता है और लग जाने पर उसे उपचारित कर ठीक भी करता है। यह पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व सल्फर भी प्रदान करता है।

यह मुख्य रूप से पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व सल्फर ही होता है जिसे हिंदी में या आम भाषा में गंधक कहते हैं। लेकिन सल्फर का गुण ही इसे फफूंद नाशक व रोग प्रतिरोधक के साथ पौधों के लिए पोषक तत्व बनाता है।

Sulphur 80 WDG को तभी जाना जा सकता है जब हम सल्फर को जानेंगे। तो आइए जानते हैं-

सल्फर के मुख्य कार्य क्या हैं? (Uses of Sulphur)

  1. सल्फर पौधों की पत्तियों के पर्णहरिम (Chlorophyll) निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसी कारण जब पौधों में सल्फर की कमी होती है तो पत्तियां हल्के हरे-पीले रंग की हो जाती हैं।
  2. सल्फर का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि प्रोटीन निर्माण में 15 हिस्सा नाइट्रोजन व 1 हिस्सा सल्फर आवश्यक होता है।
  3. सल्फर , सल्फर युक्त अमीनो एसिड के निर्माण में प्रमुख घटक है। बायोटीन (Biotin) और थायमीन (Thiamine) में सल्फर पाया जाता है। यही  बायोटीन और थायमिन पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  4. सल्फर ग्लुटेथियान और सहायक एंजाइम ए (Co-enzyme A) के निर्माण में आवश्यक अंग है जो फसल उत्पाद के गुणवत्ता वृद्धि में सहायक होता है।
  5. सल्फर की उपस्थिति ,पौधों में नाइट्रोजन एवं फास्फोरस के अवशोषण क्षमता को बढ़ाता है।इसी कारण सल्फर कोटेड यूरिया का प्रयोग करना चाहिए ताकि उर्वरक की उपयोग क्षमता बढ़ जाए और प्रति इकाई क्षेत्रफल से अधिक उपज प्राप्त हो।
  6. सुगंधित तेल के बनने के लिए पौधों में सल्फर का होना अति आवश्यक है।
  7. सल्फर दलहनी फसल के जड़ों में ग्रंथि निर्माण (Nodule Formation) को बढ़ाता है जिससे नाइट्रोजन स्थिरीकरण में वृद्धि होती है और अंततः फसल उत्पादन बढ़ जाता है।

विभिन्न फसलों में सल्फर का क्या प्रभाव पड़़ता है?

  • फसलों में जड़ के विकास में सहायक होता है और कल्ले वाली फसल में कल्लों की संख्या को बढ़ाता है।
  • तम्बाकू की उपज को 15 से 30% तक बढ़ाने का कार्य करता है।
  • सल्फर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • तिलहन फसल में तेल की मात्रा को 4-9 % तक बढ़ा देता है।
  • फसल उत्पाद के गुणवत्ता वृद्धि में सहायक जैसे – गन्ने में रस की गुणवत्ता वृद्धि , तिलहन फसल में तेल की मात्रा में वृद्धि, फल को दागरहित बनाने में सहायक होता है।
  • सब्जी फसल में फलों को दागरहित कर रंग और स्वाद को बढ़ाता है।
  • आलू फसल में आलू के स्टार्च को बढ़ाने में सहायता करता है।

सल्फर की कमी के क्या लक्षण हैं और कमी को पहचानना क्यों आवश्यक है?

पौधों में सल्फर की कमी होने पर इसके विशिष्ट लक्षण दिखाई देने लगते हैं लेकिन जब तक यह मालूम न हो कि यह कैसा होता है तब तक इसकी कमी को पूरा नहीं किया जा सकता फलस्वरूप फसल उत्पादन में कमी को सहना पड़ेगा।तो आइए जानते हैं कमी के लक्षण –

  1. पौधों की वृद्धि दर बहुत कम हो जाती है और तना सख्त व छोटा रह जाता है।
  2. नई पत्तियाँ हल्के हरे-पीले (yellowish green) रंग की हो जाती हैं।
  3. सरसों ,आलू व चाय आदि की पत्तियां प्यालेनुमा आकार (Cupping) की हो जाती हैं।
  4. केला, नारियल आदि में फूल और फल कम बनते हैं।
  5. मक्का, टमाटर, कपास और तोरिया, लूसर्न (रिजका) में तना लाल रंग का हो जाता है।
  6. दलहनी फसल की जड़ों में गाँठ कम बनती है। गाँठ कम बनने से नाइट्रोजन स्थिरीकरण कम हो जाता है जिससे उपज कम हो जाती है।

विभिन्न फसलों में सल्फर की आवश्यक मात्रा कितनी होती है?

विभिन्न रासायनिक उर्वरकों व कार्बनिक खादों के माध्यम से सल्फर भूमि में पहुँचती रहती है और इसी सल्फर को पौधे अवशोषित करते हैं फिर भी रेतीली व सिंचित भूमि में लीचिंग के माध्यम से सल्फर की हानि होती है। लीचिंग के अतिरिक्त सल्फर की हानि मुख्य रूप से फसलों से ही होती है। एक आंकड़े के अनुसार मिट्टी से सल्फर की हानि 6–20.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष तक हो जाती है। आइए आपको टेबल के माध्यम से विभिन्न फसलों में सल्फर की आवश्यकता की जानकारी देते हैं–

क्रफसलसल्‍फर की आवश्‍यकता [किलोग्राम सल्‍फर/टन फसल उपज]
1तिलहन फसलें12
2दलहन फसलें8
3मक्‍का,ज्‍वार,बाजरा5-8
4धान,गेहूँ3-4

इस तरह से देखा जाय तो सबसे अधिक सल्‍फर की आवश्‍यकता तिलहन फसलों को फिर दलहन फसलों को उसके बाद मक्‍का,ज्‍वार,बाजरा व सबसे कम धान,गेहूँ को आवश्‍यक होता है।

Sulphur 80 WDG का विभिन्न फसलों में उपयोग मात्रा व नियंत्रित होने वाले रोग-

क्र

फसलरोग का नामडोज प्रति एकड़ (ग्राम)प्रति लीटर पानी में Sulphur 80 WDG की मात्रा (ग्रााम)पानी की मात्रा (लीटर/एकड़)वेटिंग पीरियड (दिन में)
1मटर,लोबिया,ग्‍वारPowdery mildew700-10002.33-2.50300-40024
2जीराPowdery mildew750-10002.50300-40024
3गेहूॅंPowdery mildew10005.0020024
4आमPowdery mildew750-10002.50300-40024
5अंगूरPowdery mildew750-10002.50300-40024
6सेवScab 750-10002.50300-40024

टेबल में दिए गए प्रति लीटर पानी में Sulphur 80 WDG की मात्रा (ग्राम में) की गणना प्रति एकड़ अनुशंसित पानी की मात्रा के आधार पर निकाली गई है। सामान्‍यत: देखा गया है कि किसान प्रति एकड़ पानी की मात्रा कम कर देते हैं और फफूँदनाशक की मात्रा को प्रति लीटर पानी के आधार पर बढ़ा देेेते हैं।

नोट:- कृृृृपया फफूँदनाशक प्रयोग से पूर्व पैकिंग में दिए गए लीफलेट को पढ़ें व दिए गए दिशानिर्देश का पालन करें। फफूँदनाशक का प्रयोग करने के बाद पैकिंग को सुरक्षित तरीके से निपटान करें ताकि पर्यावरण व जल प्रदूूूषण को रोका जा सके।

Sulphur 80 WDG उत्‍पादित करने वाले कम्‍पनी व उनके ट्रेड नाम

क्र.कम्‍पनीट्रेड नाम Sulphur 80 WDG
1IFFCO-MCSasage
2TataSultan
3SyngentaThionutri
4SumitomoSulfex
5HPMHivet
6AdamaMAINSUL
7NPCThiofit
8Power GrowSulphur Fast FWD
9AgrosisSuperior
10UP (United Pesticides)Ustaad

Sulphur 80 WDG उपयोग करने के लाभ–

  1. यह पानी में बहुत तेजी से घुलता है और पत्तियों की सतह में तेजी से फैलकर पत्तियों को जलने से बचाता है।
  2. Sulphur 80 WDG एक कवकनाशी (Fungicide), सूक्ष्मपोषक तत्व (Micronutrient) सल्फर के रूप में और माइट को मारने वाले (Miticide) की तरह कार्य करके तिहरा अथवा तीन गुना प्रभाव दिखाता है।
  3. यह लंबी अवधि तक रोग आदि में नियंत्रण प्रदान करता है। अधिकतर फसलों में इसकी प्रतीक्षा अवधि (waiting period) भी अधिक दिनों का लगभग 24 दिनों का है।
  4. Sulphur 80 WDG का प्रयोग करने पर यह पत्ती और फलों में जलने का प्रभाव नहीं दिखाता है।

Sulphur 80 WDG के उपयोग में सावधानी–

  1. इसका प्रयोग कद्दूवर्गीय फसल जैसे-खीरा, लौकी, कद्दू ,ककड़ी ,तरबूज आदि में नहीं करना चाहिए जहाँ सल्फर के छिड़काव से पत्तियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और जलने जैसा दिखाई देने लगती हैं।
  2. सेव, नाशपाती और अन्य फलों की किस्में जहाँ इसे उगाने के स्थान पर तापमान 30℃ के बराबर या इससे अधिक हो उपयोग करने पर यह हानिकारक हो जाता है। यहाँ उपयोग नहीं करना चाहिए।

FAQ – [ इसे भी जानें ]

Sulphur 80 WDG का उपयोग किन फसलों में करना चाहिए?

Sulphur 80 WDG का उपयोग धान् , गेहूॅॅ ,ग्‍वार ,लाेेेेबिया ,सेव ,आम ,अंगूर ,मटर ,मूंगफली,जीरा,मिर्च, सरसों, भिण्‍डी और लगभग सभी प्रकार के सब्‍जीवर्गीय फसल , फल-फूल वर्गीय फसल में कवकनाशक के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। अपवाद – कद्दूदूवर्गीय फसल जैसे-खीरा, लौकी, कद्दू ,ककड़ी ,तरबूज आदि में प्रयोग नहीं करना चाहिए इसके साथ ही सेव, नाशपाती और अन्य फलों की किस्में जहाँ इसे उगाने के स्थान पर तापमान 30℃ के बराबर या इससे अधिक हो उपयोग नहीें करना चाहिए।

Sulphur 80 WDG को कितनी मात्रा में प्रयोग करनी चाहिए?

Sulphur 80 WDG को 35-75 ग्राम/15 लीटर पानी (सामान्य नैपसेक स्प्रेयर की क्षमता) में या 700 से 1000 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए

Sulphur 80 WDG को किन-किन रोगों के नियंंत्रण के लिए प्रयोग करना चाहिए?

इसका उपयोग मुुख्‍यत: Powdery mildew [ पाउडरी मिल्‍डयू ] के नियंंत्रण के लिए करना चाहिए लेकिन साथ में यह टिक्‍का रोग, लीफ स्‍पॉट, स्‍कैैब ,बड माइट को भी नियंत्रित करता है।

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