गेहूं की किस्मों के नाम | गेहूँ की किस्‍में जिन्हें किसानों को अवश्य जानना चाहिए । गेहूँ की टॉप वैराइटी जो उत्‍पादन में हैं अव्‍वल

रबी की मुुख्‍य फसल गेहूं की उपज गेहूं की किस्‍मों पर निर्भर करती है।किसान जब भी फसल उगाता है उससे पूर्व वह उसकी उपज देखता है क्‍योंकि उसी पर उसकी शेष चीजें निर्भर करती हैं, जैसे -उर्वरक,पानी,काश्‍त लागत इत्‍यादि। आइए हम आपकाे गेहूं की किस्‍मों के नाम से अवगत कराते हैं जो भारतीय कृृृषि अनुसंधान परीषद के एक संस्‍थान, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्‍थान करनाल (हरियाणा) से विकसीत की गई हैंं।

गेहूं की किस्‍मों के नाम

भारत में गेहूं की जा‍तियाँ

भारत में गेहूँ की तीन जातियां उगाई जाती हैं-

पहली चपाती वाली

दूसरी मैकोनी/सूजी वाली और

तीसरी समर गेहूँ

इनमें भी चपाती वाली गेहूँ काे सबसे अधिक 87 प्रतिशत क्षेत्रफल , सूजी वाली गेहूँ को 12 प्रतिशत और समर गेहूँ काे मात्र 1 प्रतिशत क्षेत्रफल में उगाई जाती है। ये तो हो गई गेहूँ की जातियां और उनका क्षेत्रफल, अब आइए बात करते हैं-

गेहूँ की किस्‍म जो उपज में हैं अव्‍वल और उनकी विशेषता-

  1. करन नरेन्‍द्र (DBW222) – इसका औसत उत्पादन 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा पोटेंशियल उत्पादन 82.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। पौधे की ऊँचाई 103 सेंटीमीटर तक होती है और फूल 95 दिन (89-103 दिन) में आते हैं। इसकी फसल 143 दिन में पककर तैयार होती है जिसका विस्तार 139-150 दिन है।किस्म की विशेषता –इसका तना मजबूत और लॉजिंग सहनशील होता है। रोग की बात करें तो यह स्ट्रिप और लीफ रस्ट के लिए प्रतिरोधी किस्म है।करनाल बंट (9.1%) और लूज स्मट (4.9%) के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है।इसकी चपाती मेकिंग स्कोर 7.5 है जो काफी अच्छी मानी गई है।इसकी ब्रेड लोफ वॉल्यूम काफी अच्छी 648 है, ब्रेड की गुणवत्ता भी बेहतर 8.24 है और बिस्किट स्प्रेड फैक्टर 8.45 सेंटीमीटर है।
  2. करन वंंदना (DBW187) NWPZ- इस किस्म का औसत उत्पादन 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि पोटेंशियल उत्पादन 96.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। पौधे की ऊँचाई 105 सेंटीमीटर तक होती है। इसके फूल 99 दिन (94-103 दिन) में आते हैं। फसल 148 दिन में पककर तैयार होती है जिसका विस्तार 139-157 दिन है। किस्म की विशेषता –अगैती बुवाई की किस्मों में से यह किस्म इनपुट के प्रति अधिकतम उत्तरदायी प्रदर्शित करता है। यह किस्म भी स्ट्रिप और लीफ रस्ट के लिए प्रतिरोधी किस्म है।यह गेहूँ के झुलसा रोग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी किस्म है।करनाल बंट के लिए मध्यम और लूज स्मट के लिए सहनशील किस्म है। इसके दानों का वजन उच्च है (1000 दानों का वजन 44 ग्राम) । इसकी चपाती मेकिंग स्कोर 7.7 है जो काफी अच्छी है।इसकी ब्रेड लोफ वॉल्यूम काफी अच्छी 648 है। प्रोटीन 11.6 % पाया गया है।
  3. करन वंदना (DBW187) NEPZ- इसका औसत उत्पादन 48.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि पोटेंशियल उत्पादन 64.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। पौधे की ऊँचाई 100 सेंटीमीटर तक होती है।फूल 77 दिन (76-80 दिन) में आते हैं। फसल 120 दिन में पककर तैयार होती है जिसका विस्तार 118-124 दिन है। इसका उत्पादन विभिन्न कृषि परिस्थितियों पर विभिन्नता रखता है और पछैती बुवाई किए जाने पर भी उपज में कमी बहुत कम देखी गई है। किस्म की विशेषता – यह किस्म भूरे और पीले रस्ट के लिए, गेहूँ के फोलियर ब्लाइट और झुलसा रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है।करनाल बंट के लिए मध्यम और लूज स्मट के लिए सहनशील किस्म है। इसके दानों का वजन उच्च है (1000 दानों का वजन 44 ग्राम) । इसकी चपाती मेकिंग स्कोर 7.7 है जो काफी अच्छी है।इसकी ब्रेड लोफ वॉल्यूम काफी अच्छी 648 है। प्रोटीन 11.6 % पाया गया है।
  4. करण श्रिया (DBW252)- इसका औसत उत्पादन 36.7 क्विंटल जबकि पोटेंशियल उत्पादन 55.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।हेडिंग 81 दिन(65-95 दिन) में आती है।परिपक्व होने में 127 दिन (100-147 दिन) लगते हैं। पौधे की ऊँचाई 98 सेंटीमीटर (82-112 सेंटीमीटर तक) होती है। किस्म की विशेषता- इसकी मुख्य विशेषता है कि इसमें केवल एक सिंचाई से उपज लिया जा सकता है।यह सूखा के प्रति अत्यधिक सहनशील (0.74 DSI) किस्म है।गेहूँ के झुलसा रोग (Av 2.5%) , लीफ रस्ट (3.4 ACI) और करनाल बंट (5.1%) के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी किस्म है। मौजूदा किस्मों की तुलना में बेहतर दाना, उत्पाद बनाने और पोषण संबंधी गुण भी अच्छे हैं। Glud-1 की 5+10 सबयूनिट की उपस्थिति इसकी उच्च ग्लूटेन शक्ति को दर्शाती है।
  5. DDW 47- Durum Wheat (ड्यूरम गेहूँ) -ड्यूरम गेहूँ उच्च पीले वर्णक के साथ और मध्य क्षेत्र (central zone) की समय पर बुवाई , प्रतिबंधित सिंचित स्थिति के लिए उत्कृष्ट , अंतिम उत्पाद गुणवत्ता, उत्कृष्ट पोषण रखती है।किस्म की विशेषता-DDW-47 गेहूँ की किस्म में अपने क्षेत्र के अन्य किस्म HI8627 जिसमें 5.63 ppm पीला वर्णक पाया जाता है की तुलना में अत्यधिक मात्रा 7.57 पीपीएम पीला वर्णक पाया जाता है। इस प्रकार यह पास्ता गुणवत्ता के सभी गुण के लिए सबसे अच्छा जीनोटाइप है । चूँकि पास्ता के उद्योग में पीले वर्णक वाले गेहूँ की उच्च माँग है इसलिए DDW-47 गेहूँ का उत्पादन किसानों के लिए लाभकारी मूल्य देने वाला साबित हो सकता है।DDW-47 गेहूँ में 12.69% प्रोटीन पाई जाती है जो इस क्षेत्र की किसी अन्य किस्म से अधिक है। इसी प्रकार आयरन की मात्रा भी HI8627 से अधिक पाई जाती है।उपज परीक्षण की बात करें तो DDW-47 की उपज का प्रदर्शन कम पानी की स्थिति में उपलब्ध अन्य किस्मों की तुलना में बेहतर पाया गया है , जिससे किसान इसे प्राथमिकता से कम पानी की स्थिति में उगा सकते हैं। HI8627 की उपज क्षमता 62 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि DDW-47 की उपज क्षमता 74.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दर्ज की गई है। काले और भूरे रस्ट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी किस्म है।इसी प्रकार अन्य रोगों और कीटों के लिए भी यह अन्य किस्मों की तुलना में बेहतर प्रतिरोध व्यक्त करती है।इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान ,करनाल द्वारा विकसित किया गया है ताकि एक उच्च गुणवत्ता वाला अंतिम उत्पाद प्राप्त किया जा सके और किसानों को भी अच्छा पारिश्रमिक मिल पाए।
क्रमांक

 

किस्म का नाम

 

गोद लेने का क्षेत्र

 

उत्पादन की स्थिति

 

मुख्य विशेषताएं

 

1

 

DBW 222

 

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश (उना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 61.3 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-82.1 क्विंटल/हेक्टेयर
पौधे की ऊंचाई – 103 सेण्‍टीमीटर (98-108)

परिपक्वता – 143 दिन (139-150)

Brown rust के लिए प्रतिरोधी, Yellow rust रस्‍ट के लिए मध्यम प्रतिरोधी, उपज में केवल 18.4% की कमी दर्ज की गई, जब देर से बोया गया, चपाती गुणवत्ता स्कोर (7.5/10), Bread गुणवत्ता स्कोर 8.24 और बिस्कुट स्प्रेड कारक 8.45 दर्ज किया गया।

2

 

DBW 252

 

NEPZ (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाके)

 

समय पर बुवाई, प्रतिबंधित सिंचित स्थितियां

 

 

बीज उपज – 37.0 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-55.6 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 98 सेण्‍टीमीटर (97-99)

परिपक्वता (दिन):127 (125-130)

गेहूं के ब्‍लास्‍ट रोग (औसत 2.5%) के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी, इसका सूखा संवेदनशीलता सूचकांक 0.74 है

3

 

DDW 47

 

CZ (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन) और उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन))

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 37.3 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-74.1.6 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 84 सेण्‍टीमीटर(83-85)

परिपक्वता (दिन):121 (118-121)

7.57 पीपीएम की उच्च पीला वर्णक सामग्री; उच्च पास्ता स्वीकार्यता स्कोर के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले पास्ता के लिए उपयुक्त (7.9)

4

 

करण वंदना (DBW 187)*

 

NEPZ (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाके)

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 48.8 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज- 64.7 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 100 सेण्‍टीमीटर

परिपक्वता (दिन): 120 (110-140)

अच्छा बिस्किट प्रसार कारक (8.6 सेमी), उच्च Fe (आयरन/लोहा) सामग्री (43.1 पीपीएम), पीले और भूरे रंग के जंग के लिए प्रतिरोधक

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश(उना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 61.8 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-96.6 क्विंटल/हेक्टेयर

5

 

DBW 173

 

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश(झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश (उना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

देर से बोई गई, सिंचित स्थितियां

 

 

बीज उपज – 47.20 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-57 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 90 सेण्‍टीमीटर (87-92)

परिपक्वता (दिन) – 122 (119-124)

टर्मिनल हीट (HSI = 0.98) के लिए सहनशील, पीले और भूरे रंग के जंग के लिए प्रतिरोधी

6

 

DBW 168

 

PZ (महाराष्ट्र और कर्नाटक)

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 47.46 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-70.1 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 84 सेण्‍टीमीटर (85-93)

परिपक्वता (दिन) – 115 (107-125)

चपाती (8.15) के साथ-साथ बिस्किट की गुणवत्ता, नरम अनाज (36) के लिए बहुत अच्छा, भूरे और काले जंग के लिए प्रतिरोधक

7

 

WB 2

 

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश(झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 51.60 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-58.9 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 100 सेण्‍टीमीटर

परिपक्वता (दिन) – 142 (129-157)

जस्ता (42.0 पीपीएम) और लौह (40.0 पीपीएम) समृद्ध गेहूं किस्म, पीले और भूरे रंग के जंग और पाउडर फफूंदी का प्रतिरोधक

8

 

DBW 93

 

PZ (महाराष्ट्र और कर्नाटक)

 

समय पर बुवाई, प्रतिबंधित सिंचित स्थितियां

 

 

बीज उपज – 29.30 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-39 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 54-68 सेण्‍टीमीटर

परिपक्वता (दिन) – 100-110

काले जंग (ब्‍लैैक रस्‍ट) का प्रतिरोधक

9

 

DBW 107

 

NEPZ (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाके)

 

देर से बोई गई, सिंचित स्थितियां

 

 

बीज उपज – 41.30 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-68.7 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 89 सेण्‍टीमीटर (86-91)

परिपक्वता (दिन) – 109

भूरे रंग के जंग का प्रतिरोधक और टर्मिनल गर्मी के प्रति सहिष्णु

10

 

DBW 110

 

CZ (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन) और उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन))

 

समय पर बुवाई, प्रतिबंधित सिंचित स्थितियां

 

 

बीज उपज – 39 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-50.5 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 89 सेण्‍टीमीटर (83-89)

परिपक्वता (दिन)- 124 (123-124)

भूरे रंग के जंग (ब्राउन रस्‍ट) का प्रतिरोधक

1 1

 

DBW 88

 

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश (उना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 54.2 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-69.9 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 99 सेण्‍टीमीटर (79-121)

परिपक्वता (दिन)- 143(122-163)

पीले और भूरे रंग के जंग का प्रतिरोध

12

 

DBW 90

 

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश (उना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

देर से बोई गई, सिंचित स्थितियां

 

 

बीज उपज – 42.7 क्विंटल/हे

 

संभावित उपज- 66.6 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 91 सेण्‍टीमीटर (76-105)

परिपक्वता (दिन) – 121 (104-135)

वयस्क पौधे में पीले और भूरे रंग के रतुआ/रस्‍ट/जंंग प्रतिरोधी होते हैं

13

 

DBW 71

 

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश (उना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

देर से बोई गई, सिंचित स्थितियां

 

 

बीज उपज – 42.7 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-68.9 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 90 सेण्‍टीमीटर

परिपक्वता (दिन) – 119

पीले जंग का प्रतिरोधक

14

 

DPW 621-50 (PBW 621 और DBW 50)

 

NWPZ (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) और पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिला) और हिमाचल प्रदेश (उना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों ( तराई क्षेत्र))

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 51.7 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-69.8 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 97 सेण्‍टीमीटर

परिपक्वता (दिन)-

पीले जंग का प्रतिरोधक

15

 

DBW 39

 

NEPZ (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाके)

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 44.6 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज- 64.7 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 89 सेण्‍टीमीटर (87-92)

परिपक्वता (दिन)- 121 (119-123)

काले रतुआ, भूरे रतुआ का प्रतिरोधक और पत्ती झुलसा के प्रति सहिष्णु

16

 

CBW 38

 

NEPZ (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाके)

 

समय पर बुवाई, सिंचित दशा

 

 

बीज उपज – 44.4 क्विंटल/हेक्टेयर

 

संभावित उपज-65.3 क्विंटल/हेक्टेयर

पौधे की ऊंचाई – 93 सेण्‍टीमीटर (90-94 )

परिपक्वता (दिन)- 121 (119-123)

जंग का प्रतिरोधक

स्त्रोत :- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्‍थान,करनाल

गेहूँ बुवाई से पूर्व किस्म का चयन क्यों है आवश्यक ?

गेहूँ बुवाई से पूर्व किस्म का चयन क्यों आवश्यक है, आइए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देते हैं-

  • उत्पादन-

    किस्म से ही निर्धारित होता है कि वह किस्म बुवाई करने पर कितना उत्पादन देगा। उस किस्म का सामान्य उत्पादन व पोटेंशियल उत्पादन कितना है यह जानने के बाद ही किसान भाइयों को किस्म का चयन करना चाहिए।

  • अंतिम उत्पाद-

    किस उद्देश्य से गेहूँ का उत्पादन किया जा रहा है इस को ध्यान में रखकर ही किस्म का चयन करना चाहिए। जैसे- किसी किसान को रोटी या चपाती बनाने हेतु उत्पादन करना है अथवा पास्ता बनाने हेतु अथवा सूजी बनाने हेतु।

  • लॉजिंग-

    लॉजिंग समस्या को ध्यान में रखकर किस्म चयन करना चाहिए।यदि किसी क्षेत्र में आंधी-तूफान ,तेज हवा चलती हो तो कम ऊँचाई के किस्म का चयन करना चाहिए।

  • अवधि

    फसल की अवधि को ध्यान में रखना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह फसल चक्र में सहायक होता है।कम अवधि की फसल लगाने पर अगली फसल जल्दी लगाई जा सकती है व कम अवधि में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

  • पानी की उपलब्धता-

    पानी की उपलब्धता के आधार पर भी किसान भाइयों को किस्म चयन करना चाहिए। यदि कम पानी उपलब्ध रहने पर अधिक पानी चाहने वाले किस्म की बुवाई करेंगे तो उसके फेल होने की संभावना अधिक रहेगी अथवा वो फसल किसान को लाभ नहीं देगा। वहीं दूसरी ओर पर्याप्त पानी रहने पर भी कम पानी चाहने वाली किस्म की बुवाई करने पर अधिकतम उत्पादन लेने से किसान भाई वंचित रह जाएंगे।

  • उद्योग –

    पास्ता इण्डस्ट्री में उच्च पीला वर्णक रखने वाले किस्म जैसे ड्यूरम गेहूँ (DDW-47) का चयन करने पर किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।इसकी माँग हमेशा बनी रहती है।इसी तरह आटा उद्योग के लिए चपाती वाली किस्म का चयन उगाने के लिए करना चाहिए।

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