Propiconazole 25 EC Uses in Hindi- Propiconazole 25 EC जो मार्केट में Tilt, Pikapika, Xerox, Bumper, Dhan, Jimita, Profit, Propetone, Tagzol, Prozol, Goldfinger, Propizole, Markzole आदि ट्रेड नाम से उपलब्ध है, इस फफूँदनाशक का परिचय ,नियंत्रित होने वाले रोग और किन-किन फसलों में उपयोग कर सकते हैं इसकी पूरी जानकारी।
Propiconazole 25 EC क्या है?
Propiconazole 25 EC एक बहुआयामी प्रणालीगत और पत्तियों पर स्प्रे किया जाने वाला फफूँदनाशक (Broad-spectrum systemic foliar fungicide) है जो फफूँदनाशक के Triazole Group के अंतर्गत आता है।
Propiconazole 25 EC कैसे कार्य करता है?
- जब इसे पौधों पर स्प्रे किया जाता है तो यह पौधों के जिन भागों द्वारा अवशोषित किया जा सकता है उनके द्वारा इसके अधिकांश भाग को एक घंटे के अंदर अवशोषित कर लिया जाता है और पौधे के जाइलम (Xylem) द्वारा ऊपर की ओर (Acropetally) गति करते हुए पूरे भाग में फैला दिया जाता है।
- Propiconazole 25 EC फफूँद पर उसी समय से कार्य करने लगता है जब फफूँद, पौधे के अंदर पहली बार हॉस्टोरिया का निर्माण (Haustoria formation) करता है।
- Propiconazole 25 EC एक शक्तीशाली एर्गोस्टेरॉल के संश्लेषण को रोकने वाला होता है। यह एर्गोस्टेरॉल अधिकांश फफूँद में मुख्य स्टेरॉल होता है जो फफूँद के झिल्ली निर्माण में अति आवश्यक घटक है।प्रोपिकोनाजोल के प्रयोग करने पर एर्गोस्टेरॉल का संश्लेषण नहीें हो पाता इस प्रकार फफूँद की झिल्ली कमजोर हो जाती है और फफूँद नष्ट हो जाता है या पौधे के अन्दर प्रवेश नहीं कर पाता।
- Propiconazole 25 EC फफूँद को पौधों में लगने से रोकता भी है और यदि पहले से लगा हुआ हो तो उसे ठीक भी करता है इस प्रकार यह Protective व Curative दोनों है।
Propiconazole 25 EC Uses in Hindi – फसल , नियंत्रित होने वाले फफूंंदजनित रोग का नाम और डोज
क्र | फसल | फफूंंदजनित रोग | डोज प्रति एकड़ (मीलीलीटर) | प्रति लीटर पानी में Propiconazole 25 EC की मात्रा (मीलीलीटर) | पानी की मात्रा (लीटर/एकड़) | वेटिंग पीरियड (दिन में) |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | धान | शीथ ब्लाईट | 200 | 0.67 | 300 | 30 |
2 | गेहूं | करनाल बंंट, लीफ रस्ट, ब्राउन रस्ट, स्टेम रस्ट, स्ट्राइप रस्ट या पीला रस्ट | 200 | 0.67 | 300 | 30 |
3 | मूंगफली | अगैती व पछैती पत्ती का धब्बा रोग (टिक्का रोग), रस्ट | 200 | 0.67 | 300 | 15 |
4 | सोयाबीन | रस्ट | 200 | 1 | 200 | 26 |
5 | चायपत्ती | ब्लिस्टर ब्लाईट | 50-100 | 0.71-1 | 70-100 | 7 |
6 | कपास | लीफ स्पाॅॅट | 200 | 1 | 200 | 23 |
टेबल में दिए गए प्रति लीटर पानी में Propiconazole 25 EC की मात्रा (मीलीलीटर में) की गणना प्रति एकड़ अनुशंसित पानी की मात्रा के आधार पर निकाली गई है। सामान्यत: देखा गया है कि किसान प्रति एकड़ पानी की मात्रा कम कर देते हैं और फफूँदनाशक की मात्रा को प्रति लीटर पानी के आधार पर बढ़ा देेेते हैं।
नोट:- कृृृृपया फफूँदनाशक प्रयोग से पूर्व पैकिंग में दिए गए लीफलेट को पढ़ें व दिए गए दिशानिर्देश का पालन करें। फफूँदनाशक का प्रयोग करने के बाद पैकिंग को सुरक्षित तरीके से निपटान करें ताकि पर्यावरण व जल प्रदूूूषण को रोका जा सके।
Propiconazole 25 EC उत्पादित करने वाले कम्पनी व उनके ट्रेड नाम-
क्र. | कम्पनी | Propiconazole 25 EC का ट्रेड नाम |
---|---|---|
1 | Crystal | Tilt |
2 | Bayer | Tilt |
3 | IFFCO-MC | Pikapika |
4 | Dhanuka | Xerox |
5 | Idofil Industries | Dhan |
6 | Adama | Bumper |
7 | Paradeep Fertichem Industry Pvt Ltd | Profit |
8 | Ashirvad Agro | Tagzol |
9 | Paramount Agritechnologies | Propetone |
10 | Modi Agro Products | Prozol |
11 | Geenovate Agrotech Pvt Ltd | Goldfinger |
12 | Heranba Idustries Limited | Propizole |
13 | Parijat | Jimita |
14 | Markfed | Markzole |
Propiconazole 25 EC का उपयोग कब उपयुक्त है?
जैसा कि Propiconazole 25 EC की प्रकृति है कि यह Protective व Curative दोनों है।ऐसे में किसान भाई इसे फफूँद लगने के तुरंत बाद जब इसके प्रारंभिक लक्षण दिखते हैं तभी प्रयोग कर लेना चाहिए। ऐसा करने पर जो थोड़े फफूँद लगे रहते हैं वे ठीक तो होते ही हैं साथ में इसके सक्रिय तत्व के पौधों द्वारा अवशोषित करने पर यह लंबे समय तक पौधों के उत्तक में रहकर बाद में लगने वाले फफूँद से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रोपिकोनाजोल के प्रयोग में यह देखा गया है कि यह वर्षा आने पर भी धुुुलकर बाहर नहीं निकलता और प्रभावशील बने रहता है।
Propiconazole 25 EC प्रयोग के अतिरिक्त लाभ-
यह अपने गुण में वृद्धि नियामक प्रभाव (Growth Regulatory Effect) भी रखता है जो इसे अलग बनाता है और किसान भाई इसका प्रयोग कर अपने अनाज वाली फसल में उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं और दानाें में चमक ले आने के कारण बाजार मूल्य भी बढ़ जाता है।
FAQ (इसे भी जानें)
प्रोपिकोनाज़ोल 25 ईसी का उपयोग क्या है?
प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी का उपयोग फसलों में पत्ती, तना और दानों में लगने वाले फफूँद से होने वाले रोग जैसे गेहूँ में लीफ रस्ट, करनाल बंट, ब्राउन रस्ट, यलो रस्ट ,धान फसल में शीथ ब्लाइट मूंगफली में अगैती व पछैती टिक्का रोग, रस्ट , चाय में ब्लिस्टर ब्लाइट, कपास में लीफ स्पॉट को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
प्रोपिकोनाज़ोल कौन सा समूह कवकनाशी है?
प्रोपिकोनाज़ोल एक ट्राईज़ोल समूूह का कवकनाशी है, जिसे डीएमआई के रूप में भी जाना जाता है यह डीमेथिलेशन कवकनाशी को रोकता है क्योंकि यह 14-अल्फ़ा डेमिथाइलेज़ एंजाइम के साथ बंधने और एर्गोस्टेरॉल के अग्रदूत को डीमिथाइलेट करने से रोकता है।
झुलसा रोग किसकी कमी से होता है?
झुलसा रोग फाइटोफ्थोरा नामक फफूंद की वजह से होता है। कुछ फसलों में जिंक की कमी से झुलसा रोग रोग को बढ़ावा मिलता है, जैसे धान में।जिंक की कमी की कमी को पूरा काफी हद तक झुलसा रोग रोग के प्रकोप को कम कर सकते हैं।झुलसा रोग के लक्षण दिखाई दें तब नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक का प्रयोग भी बंद कर देना चाहिए।
प्रोपिकोनाज़ोल कैसे काम करता है?
प्रोपिकोनाज़ोल को जब पौधों पर स्प्रे किया जाता है तो यह कवक/फफूँद की कोशिका भित्ति को प्रभावित करता है जो कवक के विकास को धीमा कर देता है या रोक देता है । प्रोपिकोनाज़ोल का उपयोग करने वाले उत्पाद पौधे के जीवन में फफूंद के एर्गोस्टेरॉल के संश्लेषण में बाधा डालते हैं, एर्गोस्टेरॉल कवक के झिल्ली निर्माण के लिए आवश्यक पदार्थ है। प्रोपिकोनाजोल के प्रयोग करने पर एर्गोस्टेरॉल का संश्लेषण नहीें हो पाता इस प्रकार फफूँद की झिल्ली कमजोर हो जाती है फफूँद का विकास धीमा हो जाता है और अंततः फफूंंद रोग कम होकर नष्ट हो जाता है।
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